संज्ञानात्मक विज्ञान विभाग, आईआईटी कानपुर द्वारा आयोजित मनोविज्ञान का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन

 

   

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर भारत में राष्ट्रीय मनोविज्ञान अकादमी के 30 वें वार्षिक सम्मेलन की ऑनलाइन मेजबानी कर रहा है। सम्मेलन के संयोजक प्रो नारायणन श्रीनिवासन ने वार्षिक सम्मेलन के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया। सम्मेलन का उद्घाटन आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो० अभय करंदीकर ने किया। प्रो अभय करंदीकर ने देश भर के प्रख्यात मनोवैज्ञानिकों और विद्वानों का स्वागत किया और इस सम्मलेन के सफल होने की कामना की। प्रो० करंदिकर ने मनोवैज्ञानिकों से इस बात पर ध्यान देने का आग्रह किया कि प्रौद्योगिकी और इसका उपयोग मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष रूप से वर्तमान कोविड की स्थिति में कैसे प्रभाव डालता है। प्रो० करंदीकर ने मनोवैज्ञानिकों और इंजीनियरों के बीच घनिष्ठ संबंधों पर भी चर्चा की । प्रो० सोनाली डे ने नेशनल एकेडमी ऑफ साइकोलॉजी (एनएओपी) की पिछले साल की गतिविधियों के बारे में एक संक्षिप्त रिपोर्ट पेश की, और बताया कि इस सम्मेलन की शुरुआत आईआईटी कानपुर में मनोविज्ञान के पहले वार्षिक सम्मेलन के रूप में हुयी थी और इस सम्मलेन के साथ एक चक्र पूर्ण हो रहा है।



अध्यक्ष एनएओपी, प्रो० मिनाती पांडा ने सम्मेलन को आयोजित करने के लिए लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करने के लिए निदेशक, आईआईटी कानपुर को धन्यवाद दिया और सम्मेलन समिति को एक छोटे से नोटिस पर सबको एक साथ लाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने बच्चों के साथ गणित और शिक्षा पर अपने शोध पर चर्चा की और कक्षा के लिए शिक्षाशास्त्र को डिजाइन करने में सांस्कृतिक शुद्धता के महत्व पर जोर दिया।


डॉ० अर्क वर्मा ने स्थानीय आयोजन समिति की ओर से सभी का धन्यवाद किया और डॉ० देवप्रिया कुमार ने ऑनलाइन कार्यक्रमों में भाग लेने के बारे में दर्शकों को जानकारी दी।

 
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