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प्रायोजित शोध

 

संस्थान में प्रायोजित प्रोजेक्ट के तहत ऐसी शोध को बढ़ावा दिया जाता है जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मौलिक एवं व्यावहारिक क्षेत्रों से संबंधित होती हैं । इन शोधों के लिए अनुदान सरकारी एजेन्सियाँ तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय उद्योगों द्वारा दिया जाता है। सामान्यतया इन परियोजनाओं की अवधि 2 से 5 वर्ष रहती है जिनका मूल्यांकन भी समय-समय पर किया जाता है, साथ ही साथ अनुसंधान के उद्देश्यों का भी यथास्थिति परिमार्जन होता रहता है ।

 

 
 

प्रोजेक्ट संबंधी प्रपोजल फॉर्म पर उपलब्ध हैं । http://web.iitk.ac.in/dord/forms/Project_Proposal.htm


प्रायोजित प्रोजेक्ट प्रकार किस प्रकार आरंभ करें पुरानी वेबसाईट के समर्थन से पता लगाए

प्रोजेक्ट की शुरुआत


प्रायोजित शोध परियोजना (प्रोजेक्ट)


स्टेप I : अपने उत्पादों एवं प्रौद्योगिकी के विकास हेतु शोध संस्थान एवं औद्योगिक अधिष्ठान मदद के लिए इस संस्थान में आते हैं।

स्टेप II : संस्थान का अनुसंधान एवं विकास कार्यालय संस्थान की ओर से शोध परियोजना के सामंजस्य का कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रायोजक एजेन्सी तथा संस्थान दोंनो के उद्देश्यों की प्रतिपूर्ति होती रहे।


परामर्शी परियोजनाएं (प्रोजेक्ट)



स्टेप I : औद्योगिक संस्थान भा.प्रौ.सं.कानपुर और इसके संकायों से संपर्क करते हुए अपनी विशिष्ट समस्याओं के निराकरण की अपेक्षा रखते है।

स्टेप II : संस्थान का अनुसंधान एवं विकास कार्यालय समस्या विशेष का निराकरण कराने के लिए संस्थान की ओर से सर्वश्रेष्ठ माध्यम को खोजने का काम करता है ।

स्टेप III : अनुसंधान एवं विकास कार्यालय प्रोजेक्ट को अंजाम देने के लिए उद्योग एवं संकाय के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है।

स्टेप IV : प्रोजेक्ट तय हो जाने के बाद अनुसंधान एवं विकास कार्यालय प्रोजेक्ट प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर संकाय की मदद करता है।

 
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