लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिह क्लेयर पीवीएसएम, वीएसएम, सेना कमांडर दक्षिण पश्चिमी कमान द्वारा आईआईटी कानपुर के छात्रों के लिए ऑनलाइन व्याख्यान

 

   

मोटिवेशनल लेक्चर की श्रृंखला में आज लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिह क्लेयर पीवीएसएम, वीएसएम, आर्मी कमांडर साउथ वेस्टर्न कमांड थे, जिन्होंने 20 फरवरी 2021 को सुबह 10:30 बजे एक वीडियो संदेश के माध्यम से आईआईटी कानपुर के छात्रों को संबोधित किया।


कर्नल अशोक मोर, आई आई टी कानपुर में एनसीसी के प्रभारी अधिकारी ने बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिंह कलेर का जन्म 02 मार्च 1961 को हुआ था और यह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला 60 वें कोर्स और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के 70 वें कोर्स के और बांग्लादेश के राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र हैं |



जनरल रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन से विज्ञान में परास्नातक, महू के आर्मी वार कॉलेज से मास्टर ऑफ फिलॉसफी (मैनेजमेंट) है, और उन्हें 12 जून 1982 को ARMORED CORPS में कमीशन किया गया उन्होंने जनवरी 2003 से अक्टूबर 2005 तक 68 आर्मर्ड रेजिमेंट की कमान संभाली। उन्होंने 2009 से 2011 तक 43 बख्तरबंद ब्रिगेड की कमान संभाली और फिर 2014 से 2015 तक 31 बख्तरबंद डिवीजन (व्हाइट टाइगर डिवीजन) की कमान संभाली और उन्हें अपने पिता के समान ही उस डिवीजन की कमान सँभालने वाला एकमात्र विशेषाधिकार प्राप्त जनरल ऑफिसर बनाया । राष्ट्र के लिए उनकी सेवा के लिए उन्हें 2015 में विशिष्ट सेवा पदक और वर्ष 2020 में पीवीएसएम से सम्मानित किया गया था। वह 13 जनवरी 2018 से 26 जनवरी 2019 तक खरगा कोर कमांडर थे। लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिंह कलेर ने 01 सितंबर 2019 से दक्षिण पश्चिमी कमान की कमान संभाली।


लीडरशिप पर आई आई टी कानपुर के छात्रों को संबोधित करते हुए, जनरल ने कहा कि नेतृत्व लोगों को स्वेच्छा से वही करने/करवाने की कला है जिसको करने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने नेतृत्व को एक विज्ञान और एक कला बताया। विज्ञान वो सब ज्ञान है, जो आपके पास है, चाहे वह तकनीकी हो या मानवीय संपर्क और कला वो है, जब आप भविष्य के लिए योजना बनाने के लिए यह सब ज्ञान एक साथ रखते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह योजना आपकी है और कलाकार आप हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य की भविष्यवाणी करने का सबसे अच्छा तरीका इसे बनाना है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे उन पर वैज्ञानिक काम करें और अपने अन्दर के सर्वश्रेष्ठ कलाकार को बाहर लाएँ।


उन्होंने सेना में लोगों को नेतृत्व को समझने का तरीका बताया। उन्होंने इसे तीन शब्दों नाम, नमक और निशान में अभिव्यक्त किया।

नाम- नाम/ देश की प्रतिष्ठा / आप जिस संस्थान से हैं।
नमक - आपने जो नमक खाया है, उसके प्रति निष्ठा
निशान- पताका, झंडा या मानक। यह भारतीय ध्वज / रेजिमेंट / संस्थान का रंग हो सकता है।


उन्होंने जोर देकर कहा कि "नाम सबसे महत्वपूर्ण है, आपका व्यक्तिगत नाम और यदि आप नमक और निशान के सम्मान को अपने नाम के साथ लाते हैं, तो आपके नाम के साथ सम्मान आपकी उपलब्धियों पर गर्व कराता है, खुद को सम्मानित करें, सबकुछ ठीक हो जाएगा। ”


अंत में उन्होंने नेतृत्व के बारे में अपने पसंदीदा उद्धरणों में से एक छंद का पाठ किया। उन्होंने कहा “नेतृत्व क्या है। सम्मान से पहले, लीडरशिप ट्रस्ट है, गौरव के आह्वान से पहले, यह सेवा का आह्वान है और इस सब से पहले, लीडरशिप नेतृत्व करने और प्रभावी रूप से सेवा करने की इच्छा है | जय हिन्द


उन्होंने प्रथम वर्ष के छात्रों को आने वाले समय और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए शुभकामनाएं दीं।

 

 

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