
आईआईटी कानपुर और एनएमसीजी का बड़ा कदम: रेत खनन पर देशभर के लिए बनेगा नया वैज्ञानिक मॉडल
Kanpur , 7 October 2025
Source: Information and Media Outreach Cell, IIT Kanpur
कानपुर, 6 अक्टूबर 2025: आईआईटी कानपुर और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने मिलकर देश की बड़ी नदियों में रेत खनन के असर पर एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन पूरा किया है। इस रिपोर्ट को 29 सितंबर 2025 को जल शक्ति मंत्री श्री सी. आर. पाटिल ने नई दिल्ली में जारी किया। जल शक्ति मंत्रालय के सचिव श्री वी. एल. कांताराव ने कहा कि राज्यों की भागीदारी से इस अध्ययन के नतीजों को पूरे देश में लागू किया जा सकेगा।
यह अध्ययन आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रो. राजीव सिन्हा के नेतृत्व में किया गया है। इसमें सैटेलाइट तस्वीरों, ड्रोन सर्वे और आधुनिक मॉडलिंग तकनीकों की मदद से यह बताया गया है कि अनियंत्रित रेत खनन से नदियों पर कितना असर पड़ रहा है।
प्रो. सिन्हा ने कहा कि अब जरूरत है कि रेत खनन के लिए विज्ञान पर आधारित नीति बनाई जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि इसके अनुसार इस काम के लिए खास दिशा-निर्देश तय किए जाने चाहिए ताकि खनन सिर्फ उन्हीं इलाकों में हो, जहां नदी खुद को दोबारा भरने की क्षमता रखती है।
एनएमसीजी के महानिदेशक श्री राजीव कुमार मित्तल ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की रेत खनन से जुड़ी मौजूदा गाइडलाइंस को आईआईटी कानपुर की वैज्ञानिक सिफारिशों के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
प्रो. सिन्हा ने आगे बताया कि रेत खनन के नियंत्रण के लिए एक समग्र योजना की जरूरत है, जिसमें बाढ़ जोखिम, तट कटाव और भूजल पुन: र्भरण जैसे पहलुओं पर भी ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि आधुनिक तकनीक जैसे ड्रोन, सैटेलाइट इमेजिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर नदियों की लगातार निगरानी की जाए।
ईटीएफ ने सुझाव दिया है कि हिमालयी और दक्षिणी भारत की कुछ नदियों में पायलट प्रोजेक्ट चलाकर एक “सैंड माइनिंग मॉनिटरिंग मॉड्यूल (SaMM)” बनाया जाए, जो आगे चलकर पूरे देश में लागू किया जा सके।
एनएमसीजी ने यह भी कहा कि इसके लिए राज्य विभागों की ट्रेनिंग और जन सहयोग कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा।
आईआईटी कानपुर के बारे में
1959 में स्थापित, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है। विज्ञान और इंजीनियरिंग शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध, आईआईटी कानपुर ने अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका 1,050 एकड़ का हरा-भरा परिसर शैक्षणिक और अनुसंधान संसाधनों से समृद्ध है। संस्थान में 20 विभाग, तीन अंतर्विषयी कार्यक्रम, 26 केंद्र और तीन विशेष स्कूल हैं, जो इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन, मानविकी और प्रबंधन जैसे क्षेत्रों को कवर करते हैं। 570 से अधिक पूर्णकालिक फैकल्टी और 9,500 से अधिक छात्रों के साथ, आईआईटी कानपुर नवाचार और शैक्षणिक उत्कृष्टता में अग्रणी बना हुआ है।