Women's Association

Indian Institute of Technology Kanpur

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विधा. मनहरण घनाक्षरी छंद

लहरों में नाव सी ये, निम्बिया की छांव सी ये।
हरे भरे गांव सी ये ,होती बहुरानियां।

सरदी की धूप सी ये,ममता स्वरूप सी ये।
प्रेम वाले मोती नित, बोती बहुरानियाँ।

भोर को प्रणाम करे,सारा दिन काम करे।
सबको सुलाके फिर,सोती बहुरानियाँ।।

कुल को बढ़ाती हैं ये,सब अपनाती हैं ये।
फिर भी न जाने क्यूं ये, रोती बहुरानियाँ।।

घर पे जो आंच आए,गम के जो घन छाए।
बन बिजली सी कौंध , जाती बहुरानियाँ ।।

खुद को भुला के जीती, आंसू भी सहज पीती।
सभी को खिलाने बाद,खाती बहुरानियाँ।।

पीहर को छोड़ कर, नए नाते जोड़ कर।
प्रीत का खजाना संग ,लाती बहुरानियाँ।।

द्वार की रंगोली सी है,रंगों भरी होली सी है।
इसी लिए सब को ही, भाती बहुरानियाँ।।

शिप्रा सिंह ,कानपुर

मेरा नाम शिप्रा सिंह है,मैं एक लेखिका और कवियत्री हूं।तथा हस्त कला में मेरी विशेष रुचि है।आज मैं आपके साथ अपनी साहित्यिक यात्रा को साझा करने जा रही हूं।मुझे बचपन से ही लेखन में विशेष रुचि रही है,डायरी लिखना शुरू से ही मेरा शौक रहा,कविता लेखन की प्रेरणा मेरी मां से मुझे मिली ,प्रति वर्ष स्कूल पत्रिका में मेरी कविता को स्थान मिलता रहा।अब तक मैने लगभग 100 कविताएं लिखी हैं जिनमे गीत, गज़ल,छंद ,दोहे,मुक्तक तथा वैचारिक कविताएं आदि शामिल हैं।इस क्षेत्र में मुझे 5मार्च 2023 को राम नाथ भोला संस्थान उन्नाव द्वारा साहित्य श्री सम्मान से नवाजा गया।और इस समय साहित्य अर्पण अंतरराष्ट्रीय संस्था की पूर्वी उत्तर प्रदेश शाखा की अध्यक्ष पद का निर्वहन कर रही हूं।