जिला-स्तर पर नदी प्रबंधन की मजबूत पहल के साथ इंडिया वॉटर इम्पैक्ट समिट 2025 का सफल समापन
New Delhi , 13 December 2025
Source: Information and Media Outreach Cell, IIT Kanpur
कानपुर, 13 अक्टूबर 2025: तीन दिवसीय इंडिया वॉटर इम्पैक्ट समिट (9–11 दिसंबर 2025) का समापन गुरुवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली के FITT सभागार में हुआ। सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज़ (C-Ganga), IIT कानपुर द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में देश-विदेश के राजदूतों, नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों, प्रशासनिक अधिकारियों, उद्योग विशेषज्ञों तथा IITs–NITs सहित प्रमुख संस्थानों के शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों ने भाग लिया।
समिट के दौरान भारत की नदियों के सतत, वैज्ञानिक और समग्र प्रबंधन को लेकर उच्च-स्तरीय चर्चाएं हुईं। समापन दिवस पर विशेषज्ञों ने सर्वसम्मति से कहा कि देश के प्रत्येक जिले में जिला नदी प्रबंधन योजना (District River Management Plan — DRMP) तैयार की जानी चाहिए। उनका मानना था कि स्थानीय नदी-तंत्र को मजबूत किए बिना भारत की दीर्घकालिक जल सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती।
सम्मेलन में आइसलैंड और स्लोवेनिया के राजदूत, तथा रायगढ़ के सांसद श्री सुनील दत्तात्रेय तटकरे विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने जनप्रतिनिधि के दृष्टिकोण से जल प्रबंधन की चुनौतियों और आवश्यकताओं पर विचार व्यक्त किए।
प्री-समिट सत्र की अध्यक्षता श्री राजीव रंजन मिश्रा, पूर्व महानिदेशक, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) ने की। डॉ. विनोद तारे, संस्थापक प्रमुख, C-Ganga ने सम्मेलन की केंद्रीय थीम की प्रासंगिकता पर प्रभावी उद्बोधन दिया। इसके अलावा डॉ. ए. के. गोसाईन (पूर्व प्रोफेसर, IIT दिल्ली एवं संस्थापक, INRM), श्री सुरेश बाबू (डायरेक्टर, WWF इंडिया) तथा सुश्री लॉरा सस्टर्सिक (GIZ) ने नदी प्रबंधन के वैज्ञानिक, नीतिगत आयामों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। अतिथियों का स्वागत C-Ganga की ओर से श्री सन्मित आहूजा और डॉ. मनोज तिवारी ने किया।
भारत में जल प्रबंधन संबंधी नीतिगत दिशा तय करने वाले प्रमुख मंच के रूप में स्थापित IWIS की कई सिफारिशें पूर्व के संस्करणों में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अपनाई जा चुकी हैं, जिससे इसकी प्रभावशीलता और बढ़ी है।
समिट के अंतिम दिन के पांचवे सत्र में डॉ. श्रीधर चेरुकुरी (जिलाधीश, वायएसआर जिला, आंध्र प्रदेश) ने कहा, “हिमालयी नदियां जहां वर्ष भर प्रवाही रहती हैं, वहीं मैदानों और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों से निकलने वाली नदियां मध्य, पश्चिम और दक्षिण भारत में करोड़ों लोगों का जीवन-स्रोत हैं। इनके संरक्षण और उचित प्रबंधन के लिए प्रत्येक जिले में वैज्ञानिक योजना बनाना अत्यंत आवश्यक है।”
समापन सत्र में डॉ. विनोद तारे ने सम्मेलन के उद्देश्यों और उपलब्धियों का विस्तृत सार प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि IWIS कैसे विभिन्न विभागों, संस्थानों और हितधारकों के बीच सहयोग का प्रभावी और सुदृढ़ मंच प्रदान करता है, जो भारत के जल प्रबंधन प्रणआली को मजबूत बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में डॉ. पूर्णेंदु बोस (अध्यक्ष, C-Ganga), डॉ. मनोज कुमार तिवारी और श्री सन्मित आहूजा सहित अनेक विशिष्ट अतिथि एवं प्रतिभागी उपस्थित रहे।
आईआईटी कानपुर के बारे में
1959 में स्थापित, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है। विज्ञान और इंजीनियरिंग शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध, आईआईटी कानपुर ने अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका 1,050 एकड़ का हरा-भरा परिसर शैक्षणिक और अनुसंधान संसाधनों से समृद्ध है। संस्थान में 20 विभाग, तीन अंतर्विषयी कार्यक्रम, 26 केंद्र और तीन विशेष स्कूल हैं, जो इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन, मानविकी और प्रबंधन जैसे क्षेत्रों को कवर करते हैं। 570 से अधिक पूर्णकालिक फैकल्टी और 9,500 से अधिक छात्रों के साथ, आईआईटी कानपुर नवाचार और शैक्षणिक उत्कृष्टता में अग्रणी बना हुआ है।