दान प्रदाता का परिचय
यह केंद्र “मिकी और विनीता चैरिटेबल फाउंडेशन” द्वारा दिए गए 01 मिलियन अमरीकी डालर के अनुदान से स्थापित किया जा रहा है। संस्थान के पूर्व छात्र श्री मुक्तेश (मिकी) पंत (BT/CH /76) अपनी दिवंगत मां श्रीमती गौरा पंत, जो हिन्दी साहित्य जगत में शिवानी के नाम से प्रख्यात हैं, की स्मृति में इस केंद्र की स्थापना कर रहे हैं। श्रीमती गौरा पंत स्वयं में ही हिन्दी साहित्य की एक संस्था हैं और उनकी गणना 20वीं शताब्दी के सबसे लोकप्रिय हिन्दी लेखकों में की जाती है। हिन्दी साहित्य में उनके अतुल्य योगदान के लिए वर्ष 1982 में भारत सरकार ने उनको पद्म श्री से सम्मानित किया था।
मिकी और विनीता चैरिटेबल फंड” के संस्थापक मिकी पंत ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “यद्यपि भाषाओं का ज्ञान होना हमेशा अच्छा माना जाता है परंतु, अंग्रेजी-भाषा में बढ़िया प्रवाह का होना ही इंजीनियरिंग विधा में शीर्ष शिक्षा प्राप्त करने का मानक बने ऐसा नहीं होना चाहिए। आईआईटी कानपुर ने हमेशा अकादमिक नवाचार में नेतृत्व प्रदान किया है और मुझे उम्मीद है कि वह अब हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के संपोषण एवं समन्वय के क्षेत्र में भी नेतृत्व प्रदान कर सकता है और भविष्य के लिए एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार कर सकता है जहां अंग्रेजी-भाषा में उचित प्रवाह न होने के बावजूद डिजिटल तकनीक को आत्मसात करने में छात्रों को सुविधा होगी और उनको इंजीनियरिंग-विधा में उत्कृष्टता प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होगा। मेरी माँ, शिवानी जी हिन्दी, बांग्ला और गुजराती में पारंगत थीं और मैं हमेशा उनकी सांस्कृतिक बारीकियों और कई भाषाओं की समृद्ध शब्दावली से प्रेरित होता था, बावजूद इसके वे हमेशा हिन्दी-भाषा पर गर्व करती थीं। हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं कि आईआईटी कानपुर इस केंद्र का नामकरण शिवानी जी के नाम पर कर रहा है, और मेरी बहनें वीना जोशी, मृणाल पांडे और इरा पांडे इस केंद्र को विकसित और समृद्ध होते देखना चाहती हैं और संस्थान के सपने को पूरा करना चाहती हैं।