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आज का विषय: “नदी संरक्षण समन्वित नौपरिवहन एवं बाढ़ प्रबंधन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय एवं cGanga (IIT कानपुर) द्वारा संयुक्तरूप से आयोजित 5 वें भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन (IWIS) ने अपने चौथे दिन में नदी संरक्षण समन्वित नदी नौपरिवहन एवं बाढ़ प्रबंधन के विषय पर मंथन किया। प्रारंभिक सत्र मे कालांतर मे प्राकृतिक वनस्पति क्षेत्रों के स्थान पर बने कृषि क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव के कारण नदियों में बढ़ रहे गाद प रविचार-विमर्श किया। ड्रेजिंग के बजाय बडिंग को इस समस्या को हल करने के लिए बेहतर माना गया क्योंकि यह स्थानीय रोजगार भी पैदा करता है। बांस के साथ सतह चौखटा द्वारा चैनल की गहराई बनाए रखना भी एक बेहतर उपाय के रूप मे माना गया। ऊर्ध्वाधर घासना केवल कटाव रोकता है बल्कि नदी मे मछली और अन्य जलीय जीवों के लिए उपयुक्त है बिटैट प्रदान करते हैं।यूपी एवं बिहार मे बाढ़ सिंचाई के स्थान पर अन्य जल रक्षित करने वाली पद्दतीयों को उपयोग मे लाया जाकर पानी की बचत की जानी चाहिए। नदियों मे पानी की गहराई को बनाए रखने के तरीकों पर विचार किया गया। नौपरिवाह की संभावनाओं के साथ, पानी की उपलब्धता एवं अन्य आर्थिक एवं सामाजिक प्रभावों पर विचार विमर्श किया गया। प्लेनरी सत्र में, नीदरलेंड के जल विशेषज्ञ मिस्टर कीसबोन्स ने 2008 के बिहार बाढ़ के दौरान नदी के अपने मार्ग के बदलने को बताते हुए सिल्ट मे परिवर्तन की वजह से का नदी स्थिरता पर प्रभाव को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने नौपरिवहन मे सेंसर के उपयोग की सिफारिश की जो नदी के तल की स्थिति का पता लगाते हैं। बिहार के जल संसाधन मंत्री श्री वी.के. चौधरी ने भौगोलिक स्थिति के कारण बिहार में बाढ़ प्रबंधन की समस्याओं के बारे में बताया। उन्होंने बिहार में प्रभावी नदी संरक्षण, बाढ़ प्रबंधन और नेविगेशन के लिए गाद प्रबंधन पर जोर दिया, और एक राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति की मांग की। उन्होंने एक प्रभावी नदी निगरानी कार्यक्रम की भी वकालत की। डॉ रूचि बडोला, वैज्ञानिक जी, भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), ने गंगा डॉल्फिन जैसी प्रमुख नदी प्रजातियों पर जहाजों और ड्रेजिंग के प्रभावों के बारे मे बताया और स्थायी नेविगेशन विकास पर जोर दिया। उन्होंने गंगा संरक्षण के माध्यम से राजस्व सृजन के लिए NMCG के साथ WII द्वारा चलाए गए अर्थगंगा कार्यक्रम को भी रेखांकित किया। श्री०एस० के० गंगवार, ने कहा, बनारस और पटना के बीच गंगा में शुष्क समय मे जल की गहराई नेविगेशन के लिए अपर्याप्त है तथा गंगा के इस खंड को बाढ़ नियंत्रण और डी-सिल्टिंग की भी आवश्यकता है।
आज के विभिन्न सत्रों मे प्रतिभागियों के मध्य चर्चाओं ने उन मुद्दों और विचारों का एक व्यापक संग्रह दिया जो नदी संरक्षण समन्वित नेविगेशन विकास और बाढ़ प्रबंधन के चुनौतीपूर्ण विषय पर प्रकाश डालते हैं। प्लेनरी सत्र के बाद, शिखर सम्मेलन मे पर्यावरण प्रौद्योगिकी मे नवाचर पर प्रस्तुति और जलक्षेत्र मे वित्तप्रबंधन पर विचार-विमर्श जारी रखा। |