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नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा, जल शक्ति मंत्रालय एवं आई आई टी कानपुर स्थित सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज (cGanga) के द्वारा आयोजित पांच दिवसीय 5th IWIS के उद्घाटन एवं प्रथम महाधिवेशन सत्र में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया, श्री यू पी सिंह, NMCG डायरेक्टर जनरल श्री आर आर मिश्रा एवं cGanga के संस्थापना प्रमुख तथा आई आई टी कानपुर के प्रोफेसर डॉ विनोद तारे ने अपने विचारों से देश विदेश से आभासी माध्यम द्वारा सम्मेलन में शामिल प्रतिभागियों को अर्थ-गंगा के वर्तमान परिपेक्ष में संभावित तात्पर्यो से अवगत करवाया। इस वर्ष, शिखर सम्मेलन स्थानीय नदियों और जल निकायों के प्रबंधन की जटिलताओं और विशिष्टताओं में एक अंतर्दृष्टि देगा जो नदी संरक्षण के साथ विकास की व्यापक दृष्टि को संकलिन करने का कार्य करेगा। नदी संरक्षण के साथ जुड़े हुए विकास के कार्य जैसे मानव बस्तियों (शहरी और ग्रामीण), ऊर्जा और पर्यटन, कृषि, नेविगेशन और बाढ़ प्रबंधन से जुड़े अधिकांश महत्वपूर्ण क्षेत्रों को गंगा नदी घाटी मे सम्मिलित राज्यों जैसे दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, एवं बिहार के परिपेक्ष मे देख कर विचार मंथन किया जायेगा।
सम्मेलन के प्रथम दिन जल शक्ति मंत्री एवं राज्य मंत्री ने इस क्षेत्र में सरकार के कार्यों के बारे में बताते हुए जन भागीदारी कि आवश्यकता पर बल दिया तथा ‘नदी सरंक्षण समन्वित विकास’ के माध्यम से अर्थ गंगा को समझने के विचार पर बल दिया। श्री शेखावत ने बताया कि हम एक ऐसे इकोसिस्टम के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जहां पारिस्थितिक संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देंगे। उन्होने कहा कि यह समिट जल क्षेत्र में भारत के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगी। सचिव जल शक्ति श्री यू पी सिंह ने नदी की अविरलता को मौलिक गुण बताया तथा नदी को निर्मल रखने के लिए बनाये जा रहे इंफ्रास्ट्रक्चर को सस्टेनेबल तरीके से निर्मित एवं देख रेख करने पर बल दिया। उन्होने जल संचयन और संरक्षण के लिए 5R यानी रीसायकल,रीयूज़, रिड्यूस, रिचार्ज (भूजल संचयन) और रिस्पेक्ट मतलब जल के आदर की बात कही। उन्होने कहा कि इन्हीं एलीमेंट की मदद से जल को आसानी से संरक्षित और संचित किया जा सकता है। प्रथम महाधिवेशन सत्र के प्रारंभ डॉ तारे ने 15 दिसम्बर तक चलने वाले इस शिखर सम्मेलन में देश विदेश के विशेषज्ञों के मध्य आगामी 5 दिवसों के विभिन्न सत्रों में होने वाली चर्चा के बारे में बताते हुए अर्थ गंगा एवं नदी संरक्षण समन्वित विकास में ‘स्थानीय नदियों और जलाशयों का व्यापक विश्लेषण एवं समग्र प्रबंधन’ के महत्त्व को बताया। प्रथम दिवस के सत्रों में तकनिकी सत्रों के अतिरिक्त नदी संरक्षण में सर्कुलर इकॉनमी के महत्त्व, इनकी सफलता के लिए आवश्यक तत्वों के बारे में विचार मंथन किया गया। पेनल डिस्कशन के माध्यम से जल, शोधित जल के विभिन्न संभावित उपयोग के साथ ‘वाटर प्राइसिंग’ की आवश्यकता एवं भारतीय परिपेक्ष में उपयोगिता के बारे में चर्चा की गयी। विभिन्न पर्यावरण समस्याओं पर चर्चा करते हुए इनकी तकनीकी समाधानों, इन समाधानों के सतत जारी रहने के लिए आर्थिक उपायों, पर्यावरणीय मूल्यों (आर्थिक) एवं सरकार एवं अन्य संस्थानों के इन कार्यों में भागीदारी के महत्त्व पर चर्चा की गयी। इन चर्चाओं में देश-विदेश के शिक्षाविद, नीति आयोग, सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थान एवं उद्योग उधमी शामिल हुए। सम्मेलन के प्रथम दिवस के विभिन्न सत्रों मे वक्ताओं एवं विशेषज्ञों ने बताने का प्रयास किया कि गंगा नदी के चिरस्थायी रहने एवं इससे मिलने वाले सभी उपयोगी सुविधाओं के सतत मिलते रहने के लिए अर्थ गंगा के महत्व को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अर्थ-गंगा के महत्व को समझने के लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ एक महत्वपूर्ण तथ्य है, गंगा नदी के आस पास के क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को सहयोग देने के लिए स्थानीय वस्तुओं के उपयोग को बढ़ाना चाहिए, ताकि स्थानीय अर्थव्यवस्था के नदी पर अप्रत्यक्ष प्रभाव को सीमित किया जा सके। साथ ही यह भी बताया गया कि नदी सम्बंधित एवं अन्य पर्यावरणीय समस्याओं जैसे पराली से होने वाले प्रदूषण इत्यादि से निपटने के लिए समाधान स्थानीय (लोकल) स्तर पर ही ढूँढा जाना आवश्यक है। इस प्रकार के सभी प्रयास ‘वोकल फॉर लोकल’ के माध्यम से अर्थ गंगा को सुदृढ़ करने में सहयोग करेंगे, तथा लोकल स्तर पर प्रभावी रूप से सर्कुलर इकॉनमी के सिद्धांत को सफलतापूर्वक उपयोग कर सकेंगे। साथ ही गंगा नदी को हर प्रकार से ठीक करने में लोकल लेवल पर छोटी-छोटी नदियों को ठीक करने के महत्त्व पर भी चर्चा की गयी। GRBMP के ज्ञान से जन-जन को होगा लाभ 5th IWIS के उद्घाटन एवं प्रथम महाधिवेशन सत्र में जल शक्ति राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया ने GRBMP रिपोर्ट्स का विमोचन किया। GRBMP रिपोर्ट्स की प्रतियाँ देश के विभिन्न विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान एवं प्रयोगशालाओं में पुस्तक के रूप में रखी जा सकेंगी, जहाँ अध्ययन करने वाले छात्र इन रिपोर्ट में संकलित ज्ञान का उपयोग कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त यह GRBMP पुस्तक विभिन्न स्थानों पर संग्रहालय में भी रखवाई जा सकेगी। यह पुस्तक IITC (आई आई टी संघ) द्वारा GRBMP में किये गए शोध कार्यों को एनएमसीजी एवं एनएमसीजी के तत्वावधान में गठित किया गया सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज (cGanga) जो कि एक थिंक टैंक की तरह कार्य करता है, एवं जिसका उद्देश्य भारत को नदी एवं जल विज्ञान के क्षेत्र में विश्व स्तर पर अग्रणी बनाना है, के द्वारा संकलित एवं सम्पादित की गयी है। cGanga संस्थान का मुख्यालय IIT कानपुर में है, और इसमें देश और विदेशों के प्रमुख विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हैं। |