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कानपुर, 31 मई, 2022: आईआईटी कानपुर के पथ-प्रदर्शक आविष्कारों में से एक, भू-परीक्षक रैपिड मृदा परीक्षण उपकरण जो पिछले साल सामने आया था, उसे बाजार में एक उत्पाद के रूप में लॉन्च किया गया है। आई आई टी कानपुर केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो जयंत कुमार सिंह के नेतृत्व में श्री पल्लव प्रिंस, श्री अशर अहमद, श्री यशस्वी खेमानी और मोहम्मद आमिर खान की टीम द्वारा विकसित इस उपकरण को एक एग्रीटेक कंपनी, एग्रोनेक्स्ट सर्विसेज को लाइसेंस दिया गया है। बहुत ही कम समय में विकसित किए गए इस उपकरण को आम जनता द्वारा उपयोग के लिए 26 मई 2022 को आईआईटी कानपुर के स्टार्ट-अप इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर (एसआईआईसी) नोएडा सभागार में एक लॉन्च इवेंट के दौरान बाजार में लॉन्च किया गया है। यह अपनी तरह का पहला नया उपकरण है जो एक एम्बेडेड मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से केवल 90 सेकंड में मिट्टी के स्वास्थ्य का पता लगाने में सक्षम है। यह किसानों को प्रयोगशाला में जाये बिना उर्वरकों की अनुशंसित खुराक के साथ कृषि क्षेत्रों के मृदा स्वास्थ्य मानकों को प्राप्त करने में सहायता करेगा। यह डिवाइस नियर इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक पर आधारित है, जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध भू-परीक्षक नामक एम्बेडेड मोबाइल एप्लिकेशन के साथ स्मार्टफोन पर रीयल-टाइम मृदा विश्लेषण रिपोर्ट प्रदान करती है । इस मौके पर बोलते हुए आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा, "भू-परीक्षक उपकरण के साथ हमारा प्राथमिक उद्देश्य हमारे किसानों को उनकी मिट्टी के स्वास्थ्य के परीक्षण के मामले में राहत प्रदान करना है। यह एक ऐसा कार्य है जो आमतौर पर उनके लिए बहुत कठिन होता है क्योंकि उन्हें घर से दूर प्रयोगशालाओं पर निर्भर रहना पड़ता है। हमें यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि अब जब डिवाइस को एक उत्पाद के रूप में लॉन्च किया गया है, तो यह हमारे किसानों के लिए उनकी मिट्टी के परीक्षण की परेशानी को कम करने के लिए एक बहुत बड़ा वरदान होगा। मैं कम समय में डिवाइस को विकसित करने और आमलोगों के उपयोग के लिए बाजार उपलब्ध कराने के लिए प्रो. जयंत कुमार सिंह के नेतृत्व वाली टीम और एग्रोनेक्स्ट टीम को फिर से बधाई देता हूं। उत्पाद लॉन्च समारोह की शुरुआत पहले भू-परीक्षक डिवाइस के प्रदर्शन के साथ हुई, इसके बाद पैनलिस्टों के साथ खुले दौर की चर्चा हुई, जिसका संचालन श्री हेमेंद्र माथुर, अध्यक्ष-फिक्की टास्कफोर्स ऑन एग्री स्टार्ट-अप्स ने किया। पैनलिस्टों में आईआईटी कानपुर प्रो. जयंत के सिंह, आविष्कारक और पर्यवेक्षक, भू-परीक्षक; डॉ. जावेद रिज़वी, निदेशक, सीआईएफओआर-आईसीआरएफ एशिया महाद्वीपीय कार्यक्रम; और श्री जितेंद्र सकलानी, हेड मार्केटिंग स्ट्रैटेजी एंड इनोवेशन, चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड शामिल थे, जिसमें उन्होंने भारतीय कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में कमियों को दूर करने के लिए विभिन्न तकनीक-संचालित उत्पादों की गुणवत्ता और क्षमता पर विचार किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. अंकुश शर्मा, को-पीआईसी(Co-Prof-in-charge), एसआईआईसी आईआईटी कानपुर ने मृदा परीक्षण उपकरण को बाजार में एक गेम-चेंजर करार दिया, उन्होंने कहा कि क्योंकि मिट्टी परीक्षण के मौजूदा समाधान मैनुअल और समय लेने वाले हैं, जबकि वर्तमान उत्पाद वास्तविक-समय में मिट्टी की सेहत की जानकारी मात्र 90 सेकेंड में प्रदान करता है। इस कार्यक्रम में डॉ. निखिल अग्रवाल, सीईओ-फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (FIRST-IITK); श्री पीयूष मिश्रा, सीओओ-फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (FIRST-IITK); और श्री रवि पांडे, आरईओ, आईपीआर सेल, आईआईटी कानपुर मौजूद थे । लॉन्च के दौरान केवल 5 ग्राम सूखी मिट्टी के नमूने के उपयोग के साथ मिट्टी परीक्षण उपकरण का लाइव प्रदर्शन किया गया, जिसमें छह महत्वपूर्ण मिट्टी के मापदंडों - नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कार्बनिक कार्बन, मिट्टी में मौजूद अन्य सामग्री और केशन आयन एक्सचेंज क्षमता का तुरंत पता लगाकर दिखाया गया और मृदा स्वास्थ्य रिपोर्ट भी तैयार की गई, जिसे यूनिक आईडी के साथ भू-परीक्षक मोबाइल एप्लिकेशन पर आसानी से देखा जा सकता है। व्यापक स्तर पर बाजारों में भू-परीक्षक की उपलब्धता बढ़ाने के लिए, एग्रोनेक्स्ट ने नोवा एग्रीटेक लिमिटेड और न्यूट्रीकोश इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। एग्रोनेक्स्ट के निदेशक और संस्थापक श्री रजत वर्धन ने कहा कि वह देश भर में इसकी पहुंच के विस्तार के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने बताया कि, SIIC, IIT कानपुर में इनक्यूबेटी AgroNxt, भारतीय किसानों को उत्पादों और सेवाओं को पूरा करने के लिए एक मंच प्रदान करने में लगा हुआ है, और उसी कड़ी में यह उपकरण एक ब्लूटूथ-सक्षम डिवाइस मोबाइल ऐप के माध्यम से रीयल-टाइम मिट्टी के स्वास्थ का पता लगाने की सुविधा को एकीकृत करने के लिए एक प्रमुख मील का पत्थर होगा। आईआईटी कानपुर के बारे में: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर की स्थापना 2 नवंबर 1959 को संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। संस्थान का विशाल परिसर 1055 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें 17 विभागों, 25 केंद्रों और 5 अंतःविषय कार्यक्रमों के साथ इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन, मानविकी और प्रबंधन विषयों में शैक्षणिक और अनुसंधान संसाधनों के बड़े पूल के साथ 480 पूर्णकालिक फैकल्टी सदस्य और लगभग 9000 छात्र हैं। औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय योगदान देता है। अधिक जानकारी के लिए www.iitk.ac.in पर विजिट करें। |
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