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कानपुर, 13 फरवरी, 2023: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने कोयला और खनिज की ढुलाई के लिए अपनी नायाब कम्प्रेस्ड वायु-आधारित पाइपलाइन प्रणाली के साथ परिवहन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बिशाख भट्टाचार्य और अनुसंधान वैज्ञानिकों श्री कन्हैया लाल चौरसिया और यशस्वी सिन्हा द्वारा विकसित, प्रणाली कोयले और खनिजों के परिवहन के तरीके में क्रांति लाने का दावा करती है। मौज़ूदा प्रणाली में सामग्री के नुकसान, डिलीवरी के समय में अनिश्चितता और वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों के साथ परिवहन का पारंपरिक तरीका हमेशा एक चुनौती रहा है। नया कार्गो-आधारित हाइपरलूप सिस्टम इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करता है एवं वायु प्रदूषण, भौतिक हानि और ढुलाई के समय को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मौके पर आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर कहते हैं, "यह प्रणाली परिवहन के क्षेत्र में एक गेम-चेंजर है।" "कम ऊर्जा खपत और एक साथ पाइपलाइन निगरानी के अपने दोहरे लाभ के साथ, यह तकनीक भूमिगत और ओपन-कास्ट खनन से उत्पादन और उत्पादकता में काफी सुधार करेगी। इस प्रणाली के प्रयोग के साथ ट्रकों और रेलवे वैगनों की संख्या में होने वाली भारी गिरावट, माल ढुलाई वाली पटरियों और रोडवेज पर दबाव को कम किया जा सकेगा ।" प्रणाली को ऊर्जा स्रोत के रूप में कम्प्रेस्ड हवा के साथ कोयले या घोल को एक छोर से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। रोबोट लगभग 120 किमी/घंटा की गति से यात्रा कर सकता है और लोड किए गए ब्लॉक को निर्दिष्ट रिसीविंग/अनलोडिंग सब-सेक्शन में लगातार ट्रांसपोर्ट कर सकता है। यह एक सतत प्रक्रिया होगी और वर्कलोड और आवश्यकता के आधार पर श्रृंखला में एक से अधिक रोबोटिक वाहन संचालित हो सकते हैं। यहां तक कि समानांतर पाइपलाइन लूप भी परिवहन दक्षता में काफी वृद्धि प्राप्त की जा सकती है। वाहन का प्रत्येक मॉड्यूल बॉल और सॉकेट जोड़ के माध्यम से समीपवर्ती मॉड्यूल से जुड़ा हुआ है। यह सिस्टम को कनेक्टिविटी के साथ-साथ गतिशीलता प्रदान करता है जो रोबोट को पाइपलाइन नेटवर्क में मौजूद जटिल मोड़ों से गुजरने में सक्षम बनाता है। रोबोट में एक सटीक, विश्वसनीय और निरंतर वाहन पोजिशनिंग सिस्टम भी है। सुरंगों/पाइपलाइन जैसे विस्तारित जीपीएस-अस्वीकृत वातावरण में वैगन पोजिशनिंग के लिए यह सिस्टम हाइब्रिड मल्टी-सेंसर फ्यूजन रणनीति का प्रयोग करते हुए रोबोट पोजिशनिंग को प्राप्त करने में सक्षम है। सिस्टम में लगभग 107 KWकी बिजली खपत होती है, जिसकी डिलीवरी दर 5.6 T/min/km है, जो कि 40 इंच के पाइप के अनुरूप है। आईआईटी कानपुर की स्मार्ट मैटेरियल्स, स्ट्रक्चर्स एंड सिस्टम्स (एसएमएसएस) लैब में विकसित प्रणाली का पहले ही यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में सफल प्रदर्शन हो चुका है और इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली है। कार्गो-आधारित हाइपरलूप सिस्टम परिवहन के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है और इसका उद्योग पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, जिससे लागत कम होगी, दक्षता बढ़ेगी और जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार होगा। आईआईटी कानपुर के बारे में: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर की स्थापना 2 नवंबर 1959 को संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। संस्थान का विशाल परिसर 1055 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें 19 विभागों, 22 केंद्रों, इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन, मानविकी और प्रबंधन विषयों में 3 अंतःविषय कार्यक्रमों में फैले शैक्षणिक और अनुसंधान संसाधनों के बड़े पूल के साथ 540 पूर्णकालिक संकाय सदस्य और लगभग 9000 छात्र हैं । औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय रहता है। अधिक जानकारी के लिए https://www.iitk.ac.in पर विजिट करें |
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