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किसानों का एक समूह आई आई टी कानपुर ने चयनित करके आज एक सृजन और क्षमता विकास कार्यक्रम जैविक खेती बढ़ाने हेतु शुरू किया। प्रयास यह है की उन्नतशील किसान कुदरती खेती को लेकर आगे बढ़ें और जैविक उत्पादों को बनाकर नई तकनीकी के जरिये सीधे ग्राहकों से जुड़ जाएँ। उद्देश्य है की किसानों को अपनी मेहनत का सही मूल्य मिले, और मृदा भी मजबूत बने। आई आई टी कानपुर और नाबार्ड साथ आकर कई विकास कार्य एक साथ करने की योजना बना रहे हैं। इस कड़ी में पहला कार्यक्र्म चयनित किसानो का एक 3-दिवसीय भ्रमण है जिसके जरिये जैविक/कुदरती खेती करने के तरीके दिखाये जाएंगे, और खाद प्रसंस्करण की भी जानकारी दी जाएगी। रीता सिंह, जिनहोने इस कार्यक्रम का संचालन किया, उन्होंने बताया कि ‘आज बहुत से प्रशिक्षित युवा कानपुर के खेती में रुची ले रहे है। यह वो लोग हैं जिनहे इसमे भविष्य भी दिखा रहा है, और वो नए प्रयोग करने और सीखने को भी तत्पर हैं। उन्नत भारत अभियान, आई आई टी कानपुर ऐसे उन्नत किसानो को जोड़ने का एक मंच है, जिससे मिलकर एक बैनर के अंदर भी काम करने की संभावना खुल सकती है। साथ ही संस्थान का SIIC केंद्र कृषि के क्षेत्र में स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होने एक कैम्पस-हाट ऐप के बारे में बताया जो किसानो और प्रोड्यूसर को सीधे ग्राहक से जोड़ता है। आई आई टी कानपुर नाबार्ड और अरण्यानी फूड फॉरेस्ट के साथ मिलकर ऐसा मसौदा तैयार करेगा जिससे जैविक/कुदरती खेती और खाद प्रसंकरण की तकनीकी छोटे और मँझले किसानो तक सरलता से पहुच सके। अरण्यानी और उन्नत भारत अभियान प्राकृतिक फूड फॉरेस्ट पर कार्य कररहे हैं। IIPR के वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार जी नें दलहन की महत्ता पर ज़ोर देकर अनेक योजनाओ की जानकारी दी। आई आई टी के प्रोफेसर जे० रामकुमार ने संस्थान से प्राप्त होने वाले तकनीके सपोर्ट की बात कही। भ्रमण का संचालन कर रहे श्री आलोक कुमार जी ने बताया की सभी किसान बहुत ही उत्साहित है और इस कार्यप्र्म से और भी हौसला बढ़ेगा। |