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एन एम सी जी (GoI) और सीगंगा (IIT Kanpur) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 5 वें इंडिया वॉटर इम्पैक्ट शिखर सम्मेलन (IWIS) के दूसरे दिन नदी संरक्षण समन्वित मानव व्यवस्थापन पर विभिन्न सत्रों मे विचार विमर्श किया गया। विज्ञान, तकनीक एवं नीति (Science, Technology & Policy) पर आधारित आज के प्रथम सत्र में cGanga के संस्थापन प्रमुख डॉ विनोद तारे ने कई बिंदुओं पर विशेषज्ञों से चर्चा की जिनमे मुख्यतः (1) छोटी नदियों एवं जल स्रोतों के संरक्षण में पारंपरिक ज्ञान एवं आज के विज्ञान का समन्वित उपयोग (2) आर्थिक विकास की अन्य गतिविधियों के साथ छोटी नदियों एवं जल स्रोतों का संरक्षण भी किया जाना आवश्यक है (3) आम नागरिक को जल संरक्षण के प्रति संवेदनशील होना चाहिए एवं इसके महत्व को समझना चाहिए (4) अंतर मूल्य (differential pricing) निर्धारण के सिद्धांत के साथ शोधित जल का स्थानीय स्तर पर ही उपयोग किया जाना चाहिए (5) शहरी विकास योजनाओं मे नदियों का समायोजन आवश्यक है, ताकि नदी एवं नालों का संरक्षण हो सके (6) पर्यावरण प्रभावों को सभी विकास की गतिविधियों हेतु आर्थिक गणना मे समावेशित किया जाना चाहिए (7) विकास न केवल मनुष्यों के लिए बल्कि नदियों और अन्य पारिस्थितिक तंत्रों के लिए भी आवश्यक है।
आज प्लेनरी सत्र में, NITI Aayog के सीईओ, श्री अमिताभ कांत (IAS) ने नदियों के महत्व और भारतीय संस्कृति में उनके श्रेष्ठ स्थान पर विस्तार से बात की। उन्होंने मानवजनीत वजहों से प्राकृतिक वस्तुओ के दुरुपयोग एवं नदियों में प्रदूषण रोकने की आवश्यकता पर बाल दिया। उन्होंने सभी विकास गतिविधियों के लंबे समय तक सुनिश्चित करने पर जोर दिय और कहा कि यदि वर्षा जल संरक्षित और सही तरीके से उपयोग किया जाता है तो अधिकांश स्थानीय जल जरूरत स्थानीय स्तर पर पूरी की जा सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान के अलावा नदी संरक्षण के लिए जूनून का होना बहुत आवश्यक है। डॉ तारे ने बताया की अगर हम स्थानीय जल निकायों को पूर्ण सक्षम रूप से कार्य करने लायक बना के रखे तो पानी को बहुत दूर से लाने पर व्यय नहीं करना होगा साथ ही इससे जुड़े अन्य आर्थिक एवं प्राकृतिक नुकसानों से बचा जा सकेगा। श्री मिश्रा ने रिवर सिटी अलायंस (River City Alliances) बनाने की आवश्यकता एवं इस दिशा मे NMCG के प्रयासों को संक्षिप्त मे बताया। सम्मेलन के आज की विभिन्न सत्रों में मानव व्यवस्थापन के साथ नदी संरक्षण को लाभकारी रूप से जोड़ने के कई उपाय खोजने पर विचार-विमर्श हुआ। शिखर सम्मेलन के विभिन्न सत्रों मे जल क्षेत्र में वित्त प्रबंधन और पर्यावरण प्रौद्योगिकी नवाचारों के बारे मे प्रस्तुति एवं विचार-विमर्श किया गया। |