लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार सिंह यादव, { सेना पदक (SM) महानिदेशक आपूर्ति और परिवहन (DGST)} और वरिष्ठ कर्नल कमांडेंट ने आईआईटी कानपुर के छात्रों को संबोधित किया

 

   

प्रेरक व्याख्यान की श्रृंखला में लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार सिंह यादव, एसएम, डीजीएसटी और वरिष्ठ कर्नल कमांडेंट ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से आईआईटी कानपुर के छात्रों को संबोधित किया।


कर्नल अशोक मोर आईआईटी कानपुर में एनसीसी के प्रभारी अधिकारी ने बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार सिंह यादव राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला के पूर्व छात्र रहे हैं। जनरल डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन, कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट, सिकंदराबाद और नेशनल डिफेंस कॉलेज, नई दिल्ली से स्नातक की उपाधि प्राप्त है। लेफ्टिनेंट जनरल एमकेएस यादव प्रतिष्ठित सेवा के लिए सेना पदक और सीओएएस कमीशन कार्ड के प्राप्तकर्ता हैं।



लीडरशिप पर आईआईटी कानपुर के छात्रों को संबोधित करते हुए, जनरल ने कहा कि लीडरशिप एक सक्रिय जीवित प्रक्रिया है जो प्रभाव, प्रतिष्ठा और प्रेरणा पैदा करने के लिए, उदाहरणों द्वारा अनुभव और संचार द्वारा सही बल में निहित है। लीडरशिप का रिश्ता तकनीक और तरीकों के बारे में इतना अधिक नहीं है जितना कि यह दिल को खोलने के बारे में है। यह स्वयं के साथ साथ दूसरों को भी प्रेरणा प्रदान करती है। महान नेतृत्व केवल प्रक्रियाओं के बारे जानने में नहीं बल्कि मानवीय अनुभवों के बारे में है। नेतृत्व के पास न तो कोई रासायनिक सूत्र या कोई यांत्रिक डिज़ाइन है और न ही यह एक कंप्यूटर प्रोग्राम है, यह एक मानवीय गतिविधि है जो दिल से आती है और दूसरों के साथ सामंजस्य बनाकर काम करने पर विचार करती है। यह वास्तव में एक दृष्टिकोण है और दिनचर्या नहीं है।


लेफ्टिनेंट जनरल एमकेएस यादव ने कहा कि लीडरशिप की सच्ची कला का अर्थ है कि नेता अनुयायी नहीं बनाते हैं, बल्कि वे अधिक नेता बनाते हैं। यह दूसरों को उनकी उपस्थिति में बेहतर बनाने और यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि यह उनकी अनुपस्थिति में भी बेहतर रहता है। महान नेता को सिर्फ नेतृत्व करने के लिए नहीं बल्कि बदलाव लाने की छमता से पहचाना जाता है। उनका ध्यान अपनी भूमिका के बारे नहीं हैं, बल्कि उनके लक्ष्य के बारे में केन्द्रित होता है। एक नेता और एक महान नेता के बीच अंतर यह है कि, एक नेता लोगों को केवल वहाँ ले जाता है जहां वे जाना चाहते हैं, जबकि एक महान नेता लोगों को वहां ले जाता है जहां वे जाना जरूरी नहीं समझते हैं लेकिन जाना चाहिए।


एक सच्चे नेता में अकेले खड़े होने का आत्मविश्वास होता है, कठोर निर्णय लेने का साहस और दूसरों की ज़रूरत को सुनने की करुणाभाव होता है, उन्होंने कहा कि वह अपने कार्यों की गुणवत्ता और अपने इरादे की ईमानदारी से स्वतः एक महान नेता हो जाता है।


नेतृत्व की कसौटी क्या है? इस पर उन्होंने कहा कि, आपातकालीन स्थिति बनने से पहले किसी समस्या को पहचानना बहुत जरुरी है। वास्तव में नेतृत्व में इतने सारे गुण होते हैं कि अगर मैं उन्हें सूचीबद्ध करता रहूं तो वे कम पड़ जाएंगे, इसलिए मैं अपने अनुभव के साथ दो सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं पर संक्षेप में बात करूंगा-


नेतृत्व का पहला गुण दृष्टि है। बिना किसी क्रिया के एक दृष्टि एक दिवास्वप्न है और एक दृष्टि के बिना एक क्रिया एक दुःस्वप्न है । आप एक नेता के रूप में जहां अधिग्रहित हैं, वहां पर आपकी महत्वता इसलिए होती है कि आप सफलता का रास्ता जानते हैं, उस रास्ते में चलते हैं और दूसरों को भी रास्ता दिखाते हैं। दूसरी सबसे बड़ी प्रमुख विशेषता है, निर्णय लेना। आपके अन्दर तेजी से और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए और एक बार निर्णय लेने के बाद इसके लिए 100% जिम्मेदारी स्वीकार करें और इसका पालन करें। आप केवल तभी निर्णायक हो सकते हैं जब आपके पास आत्मविश्वास हो जो आपके पेशेवर ज्ञान का परिणाम है, इसलिए कड़ी मेहनत करके ज्ञान प्राप्त करें।


उन्होंने अपनी बात एक उद्धरण के साथ समाप्त की, जिसका उपयोग अक्सर हमारे पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी किया करते थे – “यदि आप समय की रेत पर अपने पैरों के निशान छोड़ना चाहते हैं, तो अपने पैरों को न खींचें”।


उन्होंने प्रथम वर्ष के छात्रों को आने वाले समय और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए शुभकामनाएं दीं।

 
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