आईआईटी कानपुर में प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए प्रेरक व्याख्यान की श्रृंखला में, इस बार अतिथि वक्ता थे, लेफ्टिनेंट जनरल शैलेश सदाशिव तिनिकर

 

   

आईआईटी कानपुर में प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए प्रेरक व्याख्यान की श्रृंखला में, इस बार अतिथि वक्ता थे, लेफ्टिनेंट जनरल शैलेश सदाशिव तिनिकर, सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, फोर्स कमांडर, UNMISS । उन्हें संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में संयुक्त राष्ट्र अंगोला सत्यापन मिशन III (UNAVEM-III) में सैन्य पर्यवेक्षक और सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNMIS) में मुख्य संचालन अधिकारी (COO) के रूप में काम करने का समृद्ध अनुभव है।


आईआईटी कानपुर में एनसीसी के ऑफिसर-इन्चार्ज कर्नल अशोक मोर ने अतिथि वक्ता का स्वागत किया, और संस्थान के छात्र सिद्धार्थ गोविल ने अतिथि वक्ता लेफ्टिनेंट जनरल शैलेश सदाशिव तिनिकर, एसएम, वीएसएम, फोर्स कमांडर, यूएनएमआईएसएस का परिचय अन्य छात्रों से कराया।



लेफ्टिनेंट जनरल तिनिकर ने छात्रों को अपने संबोधन में दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन पर ध्यान केंद्रित किया। जनरल तिनिकर ने कहा कि "मैं इस वक़्त दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा से आपसे बात कर रहा हूं। दक्षिण सूडान पिछले दस वर्षों से एक स्वतंत्र राज्य है। हालांकि यह भारतीय मानक समय (IST) से 3 घंटे 30 मिनट पीछे है, लेकिन विकास के मामले में यह वर्तमान समय से सदियों पीछे है। उन्होंने छात्रों को वहाँ की मौजूदा स्थिति से अवगत कराने के लिए कहा कि आप खुद एक ऐसी स्थिति के बारे में सोचें जहां आप निरंतर भूख, संघर्ष, बिना किसी निश्चित आजीविका के वातावरण में पैदा हुए हों। हिंसा या बाढ़ के कारण निरंतर विस्थापन की समस्या से निपटने के लिए पूरी तरह से बाहरी सहायता पर निर्भर हो, जहां सरकार और उसकी सेनाएं आपको शासन और सेवाएं प्रदान करने के लिए नहीं बल्कि शोषण करने के लिए मौजूद हैं जो कि आपके के लिए दुखों को उत्पन्न करती हो । 30 साल के संघर्ष के बाद और 1.5 मिलियन लोगों की जान गंवाने के बाद, दक्षिण सूडान गणराज्य अभी बना नया राष्ट्र है।


देश की आजादी के दो साल बाद ही संयुक्त राष्ट्र को शांति और सुरक्षा की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा क्योंकि राज्य अपने नागरिकों की रक्षा करने में असमर्थ था। दक्षिण सूडान ने पिछले 9 वर्षों में 45 लाख लोगों की जान गंवाई है। सूडान में लगभग 250 किमी पक्की सड़क है। देश में हर तरफ हिंसा और दुख का वातावरण है। 11.5 मिलियन में से 7 मिलियन आबादी के सामने खाद्य संकट की स्थिति हैं। वहां संविधान बनने की प्रक्रिया चल रही है और फ़िलहाल जनरल शासन कर रहे हैं। लोगों को महीनों तक वेतन नहीं मिलता है। अधिकांश नागरिक एके-47 के साथ घूमते हुए दीखते हैं। अर्थव्यवस्था पिछड़ी हुयी है और गाय को धन/संपत्ति के रूप में माना जाता है, जिसे स्थिति और शक्ति के स्रोत के रूप में एकत्र किया जाता है। उनका विवाह और सामान के लिए व्यापार किया जाता है।


जनरल ने संयुक्त राष्ट्र मिशनों और यूएनएमआईएसएस के सबसे बड़े संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन होने के कारणों को साझा किया। उन्होंने इस बात से भी अवगत कराया कि संयुक्त राष्ट्र मिशन देश की बेहतरी और मिशन के जनादेश के लिए कैसे काम कर रहा है। उन्होंने एक दृष्टिकोण दिया कि कैसे संयुक्त राष्ट्र की सेनाएँ सरकार की सहायता के लिए हैं न कि किसी पर कब्ज़ा करने वाले बल के रूप में हैं । उन्होंने समय-समय पर संयुक्त राष्ट्र बलों के समाने आने वाली चुनौतियों को भी साझा किया।


उन्होंने कहा, आशा है कि मैं आपका ध्यान सामंती व्यवस्था के युग में रहने वाले समाजों की ओर आकर्षित कर पाया हूं, हम आज 2021 में जी रहे हैं, और वो अभी बहुत पीछे हैं। अफ्रीकी महाद्वीप के पास विशाल संसाधन हैं और यह भविष्य का महाद्वीप है। उम्मीद है कि किसी दिन आप सभी अफ्रीका के उदय को देखेंगे।


लेफ्टिनेंट जनरल शैलेश सदाशिव तिनिकर, का व्याख्यान छात्रों और आईआईटी समुदाय के लिए आंखें खोलने वाला था। उन्होंने विकास और डिजिटल दुनिया का दूसरा पहलू दिखाया। छात्र मामलों के डीन (DOSA), डॉ० सिद्धार्थ पण्डा ने अतिथि वक्ता को इस शानदार व्याखान के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया l

 

 

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