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कानपुर, 30 सितंबर 2025: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के स्टार्टअप इनक्यूबेशन और इनोवेशन सेंटर (SIIC) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। SIIC ने 500 से अधिक स्टार्टअप्स को इनक्यूबेट करके भारत में आईआईटी द्वारा संचालित पहले इनक्यूबेटरों में से एक बनने का गौरव प्राप्त किया है। साल 2000 में सिडबी के सहयोग से स्थापित, SIIC आज देश के सबसे प्रभावशाली और लंबे समय तक चलने वाले टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटरों में से एक है, जो नवाचार, उद्यमिता और बाजार के लिए तैयार समाधानों को बढ़ावा देता है, जो उद्योगों और समुदायों को बदल रहे हैं। इस उपलब्धि का जश्न फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (FIRST), आईआईटी कानपुर के सम्मानित बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मौजूदगी में मनाया गया। इसमें प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल, निदेशक, आईआईटी कानपुर; प्रो. ब्रज भूषण, उप-निदेशक, आईआईटी कानपुर; प्रो. तरुण गुप्ता, डीन (रिसर्च एंड डेवलपमेंट); प्रो.दीपू फिलिप, प्रोफेसर-इन-चार्ज, SIIC; श्रीकांत शास्त्री, चेयरमैन, जियोस्पेशियल डेटा प्रमोशन एंड डेवलपमेंट कमेटी; अनुराग सिंह, सीईओ, SIIC और पीयूष मिश्रा, सीओओ और सीएफओ, SIIC शामिल थे। इन सभी ने SIIC की भारत की तेजी से बढ़ती स्टार्टअप अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका को सराहा। प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने इस उपलब्धि पर कहा, "500 से अधिक स्टार्टअप्स को इनक्यूबेट करने का लक्ष्य हासिल करना आईआईटी कानपुर की नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। SIIC के माध्यम से हम अनुसंधान और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के बीच के फासले को कम कर रहे हैं, जिससे उद्यमियों को महत्वपूर्ण समाधान बनाने में मदद मिल रही है। यह उपलब्धि भारत के नवाचार पारिस्थिति की तंत्र में परिवर्तनकारी बदलाव के लिए उत्प्रेरक के रूप में हमारी भूमिका को और मजबूत करती है।" SIIC का प्रभाव आज केवल इनक्यूबेशन तक सीमित नहीं है। इसके स्टार्टअप्स ने कुल मिलाकर लगभग 12,000 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन हासिल की है, जो उनकी बाजार में विश्वसनीयता को दर्शाता है। SIIC ने 150 से अधिक महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया है, जो समावेशी उद्यमिता के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दिखाता है। “SIIC द्वारा समर्थित शीर्ष 253 स्टार्टअप्स, जो भारत के 22 राज्यों में मौजूद हैं, अब तक 10,829 से अधिक कुशल और अकुशल नौकरियाँ उत्पन्न की हैं। यह SIIC की आर्थिक और सामाजिक विकास में बड़े योगदान को दर्शाता है।” प्रो. दीपू फिलिप ने कहा, "यह उपलब्धि हमारे स्टार्टअप्स की दृढ़ता और नवाचार को दर्शाती है। SIIC में हमारा लक्ष्य हमेशा से मेंटरशिप, फंडिंग, बुनियादी ढांचे और नेटवर्क का सही मिश्रण प्रदान करना रहा है, ताकि डीप-टेक उद्यमी तरक्की कर सकें। यह एक आईआईटी-नेतृत्व वाले इनक्यूबेटर की पहली ऐसी उपलब्धियों में से एक है, जो हमारे द्वारा बनाए गए जीवंत पारिस्थिति की तंत्र का प्रमाण है।" SIIC ने मेडटेक, IoT, AI/ML, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, कृषि-तकनीक, सामाजिक तकनीक, रक्षा और एयरोस्पेस, साइबर सुरक्षा और फिनटेक जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को पोषित किया है। इससे समस्याओं का समाधान करने वाले उद्यमियों का एक मजबूत तंत्र तैयार हुआ है, जो भारत के लिए समाधान डिजाइन कर रहे हैं और उन्हें वैश्विक बाजारों तक ले जा रहे हैं। SIIC के कई स्टार्टअप्स ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। ऑफग्रिड एनर्जी लैब्स ने अपनी जिंक-ब्रोमीन आधारित बैटरी सिस्टम (ZinGel) के विस्तार के लिए 15 मिलियन डॉलर की सीरीज A फंडिंग जुटाई है। प्राइमरी हेल्थटेक अपने IoT-सक्षम, AI-संचालित मोबिलैब डिवाइस को बढ़ा रहा है, जो भारत सरकार के टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा समर्थित है। लाइफ एंड लिम्ब.एआई और एग्रोश्योर ने यूके में कॉमनवेल्थ स्टार्टअप फेलोशिप में भाग लेकर किफायती कृत्रिम अंग और जलवायु-अनुकूल कृषि मशीनरी में अपनी नवाचार क्षमता दिखाई। रॉयल बंगाल ग्रीनटेक प्रा. लि. ने शार्क टैंक इंडिया पर शानदार पिच के बाद रेजॉन सोलर से अपने अपेक्षा से तीन गुना अधिक फंडिंग हासिल की। 2025 में SIIC ने अमेरिका स्थित एनमेक्सस के साथ साझेदारी करके अपनी वैश्विक पहुंच को और बढ़ाया, जिसने एथ्रोन एयरोस्पेस जैसे स्टार्टअप्स को अंतरराष्ट्रीय अवसर और नियामक मार्गदर्शन प्रदान किया। ऐसी साझेदारियां SIIC को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक उद्यमिता के लिए एक मंच के रूप में स्थापित करती हैं। ‘मेक इन इंडिया’, ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’, के तहत भारत की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाते हुए, SIIC, आईआईटी कानपुर यह दिखा रहा है कि अकादमिक संस्थानों में डीप-टेक इनक्यूबेशन उद्यमिता की सफलता को बढ़ावा दे सकता है और उत्तर प्रदेश और पूरे देश को आर्थिक विकास की ओर ले जा सकता है। SIIC, आईआईटी कानपुर के बारे में SIIC, आईआईटी कानपुर भारत के सबसे पुराने और सक्रिय टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटरों में से एक है। यह एयरोस्पेस, हेल्थकेयर, ऊर्जा और डीप-टेक जैसे विविध क्षेत्रों में नवाचार-प्रेरित स्टार्टअप्स का समर्थन करता है। मजबूत बुनियादी ढांचे, मेंटरशिप और सरकारी-उद्योग साझेदारी के साथ, SIIC स्टार्टअप्स को लैब-स्तर के प्रोटोटाइप से बाजार के लिए तैयार समाधानों तक ले जाने में सक्षम बनाता है। यह भारत के नवाचार परिदृश्य को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भरता व प्रौद्योगिकी नेतृत्व जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आईआईटी कानपुर के बारे में 1959 में स्थापित, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है। विज्ञान और इंजीनियरिंग शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध, आईआईटी कानपुर ने अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका 1,050 एकड़ का हरा-भरा परिसर शैक्षणिक और अनुसंधान संसाधनों से समृद्ध है। संस्थान में 20 विभाग, तीन अंतर्विषयी कार्यक्रम, 26 केंद्र और तीन विशेष स्कूल हैं, जो इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन, मानविकी और प्रबंधन जैसे क्षेत्रों को कवर करते हैं। 570 से अधिक पूर्णकालिक फैकल्टी और 9,500 से अधिक छात्रों के साथ, आईआईटी कानपुर नवाचार और शैक्षणिक उत्कृष्टता में अग्रणी बना हुआ है। |
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