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कानपुर, 25 नवंबर, 2022: आईआईटी कानपुर और अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (एएआरडीओ) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 'नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करते हुए जलवायु परिवर्तन को कम करने' पर अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 24 नवंबर 2022 को आईआईटी कानपुर में आयोजित समापन समारोह के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम व्यावहारिक अनुभवों से जुड़े व्याख्यानों से भरा हुआ था, जो 17 नवंबर 2022 को शुरू हुआ और पूरे एक सप्ताह तक चला । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कई प्रतिष्ठित वक्ताओं को अपने काम को साझा करने और प्रतिभागियों के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया गया था। समापन समारोह के दौरान उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में प्रो. सत्यकी रॉय, डिजाइन विभाग, आईआईटी कानपुर; प्रो. जे. रामकुमार, समन्वयक, रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (RuTAG) और मेडटेक आईआईटी कानपुर; डॉ. अमनदीप सिंह, इमेजिनियरिंग लेबोरेटरी, आईआईटी कानपुर के आरईओ उपस्थित थे। प्रो. सत्यकी रॉय ने इस मौके पर कहा कि, “यह कार्यशाला एक ऐसे मुद्दे पर है जिससे दुनिया भर के देश निपटने की कोशिश कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि प्रतिभागी कुछ विचारों को अपने-अपने देशों में वापस ले जाने में सक्षम होंगे और इसके आधार पर नीतियां इस तरह से बनाई जाएंगी कि जो कि इस क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाए। प्रोफेसर जे. रामकुमार, समन्वयक, रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (RuTAG) और मेडटेक आईआईटी कानपुर ने कहा, “मैं सभी प्रतिभागियों को उनके भविष्य के प्रयासों में सफल होने की कामना करता हूं। उन सभी के साथ इस एक सप्ताह की कार्यशाला ने हमें भी विभिन्न दृष्टिकोणों को जानने-समझने में मदद की है। मुझे उम्मीद है कि व्यावहारिक प्रशिक्षण ने प्रतिभागियों को भी इस विषय को अधिक स्पष्टता के साथ समझने में मदद की है। आइए हम सब मिलकर अपनी सरकारों को स्थायी प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ने में सहायता करने का प्रयास करें। मेरी इच्छा है कि हम सभी भविष्य में एक दूसरे के साथ सहयोग करेंगे। प्रतिभागियों की ओर से, जाम्बिया के श्री लेंगवे फेलिक्स ने कहा, "मैं आयोजकों को अच्छी व्यवस्था करने और पूरे प्रशिक्षण के दौरान हमारी देखभाल करने के लिए धन्यवाद देता हूं। हमें कई नई अवधारणाओं से परिचित कराया गया और हम इसे अपनी सरकारों के साथ साझा करेंगे और एक स्थायी भविष्य की दिशा में एक कदम बढ़ाएंगे। अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (AARDO) एक ग्रामीण-केंद्रित अंतर-सरकारी स्वायत्त संगठन है जो दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग की भावना का समर्थन करता है और इसके 33 सदस्य देश हैं। यह संयुक्त रूप से आयोजित पाठ्यक्रम सरकारी विभागों, मंत्रालयों, और नीति निर्माण, कार्यान्वयन, योजना और मूल्यांकन में लगे कृषि इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के मध्य और वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों के लाभ के लिए आयोजित किया गया था। कार्यक्रम का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से लड़ने के लिए एक उपकरण के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा की इंजीनियरिंग का उपयोग करने पर प्रतिभागियों को संवेदनशील बनाना था। आईआईटी कानपुर के बारे में: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर, भारत सरकार द्वारा स्थापित प्रमुख संस्थानों में से एक है। 1959 में पंजीकृत, संस्थान को 1962-72 की अवधि के दौरान अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों और प्रयोगशालाओं की स्थापना में यू.एस.ए. के नौ प्रमुख संस्थानों द्वारा सहायता प्रदान की गई थी। अग्रणी नवाचारों और अत्याधुनिक अनुसंधान के अपने रिकॉर्ड के साथ, संस्थान को इंजीनियरिंग, विज्ञान और कई अंतःविषय क्षेत्रों में ख्याति के एक शिक्षण केंद्र के रूप में दुनिया भर में जाना जाता है। संस्थान को एनआईआरएफ द्वारा लगातार शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्थान दिया गया है। औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए मूल्य के क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय रहा है। औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय योगदान देता है। अधिक जानकारी के लिए www.iitk.ac.in पर विजिट करें।
आई आई टी (IIT) कानपुर, अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन AARDO के सहयोग से 17-24 नवंबर 2022 तक चलने वाले "मिटिगेटिंग क्लाइमेट चेंज ह्वाइल हार्नेसिंग रिन्यूएबल एनर्जी" प्रशिक्षण कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है कानपुर, 19 नवंबर, 2022: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर, अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (एएआरडीओ) के सहयोग से, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को कम करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा की नवीन तकनीकों पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम,17 नवंबर 2022 को शुरू हुआ है और 24 नवंबर 2022 तक चलेगा। पाठ्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के खिलाफ लड़ने के लिए एक उपकरण के रूप में अक्षय ऊर्जा की इंजीनियरिंग का उपयोग करने के लिए संवेदनशील बनाना है। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन 17 नवंबर 2022 को आईआईटी कानपुर के आउटरीच ऑडिटोरियम में हुआ। एएआरडीओ के महासचिव डॉ. मनोज नारदेवसिंह इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे, आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर, प्रोफेसर ए.आर. हरीश, डीन ऑफ रिसर्च एंड डेवलपमेंट, आईआईटी कानपुर, एएआरडीओ प्रशासन और अनुसंधान प्रभाग के प्रमुख डॉ. संजीब के बेहरा, , प्रो. बी.वी. रतीश कुमार, प्रमुख, सीसीई आईआईटी कानपुर और प्रो. जे. रामकुमार, समन्वयक, रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (RuTAG) आईआईटी कानपुर उद्घाटन समारोह में अन्य सहित उपस्थित थे। अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (AARDO) एक ग्रामीण-केंद्रित अंतर-सरकारी स्वायत्त संगठन है जो दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग की भावना का समर्थन करता है और इसके 33 सदस्य देश हैं। यह संयुक्त रूप से आयोजित पाठ्यक्रम सरकारी विभागों, मंत्रालयों, और नीति निर्माण, कार्यान्वयन, योजना और मूल्यांकन में लगे कृषि इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के मध्य और वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों के लाभ के लिए आयोजित किया जा रहा है। प्रो. जे. रामकुमार ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और आईआईटी कानपुर द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने वाली तकनीकों को विकसित करने के लिए की गई पहलों की शुरुआत के बारे में प्रतिभागियों को अवगत कराया । उन्होंने कहा कि, “सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का उद्देश्य हमारी दुनिया को बदलना है। किसी भी अन्य क्षेत्र से अधिक, कृषि वह सामान्य क्षेत्र है जो एसडीजी को एक साथ बाँधे रखता है। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण की प्रमुखता 'करके सीखो' (Learn by doing )है। आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि यह कार्यक्रम अधिक लोगों को स्थायी ऊर्जा की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। स्थिरता से संबंधित मुद्दों पर काम करने के लिए हमारे पास हमारा समर्पित सतत ऊर्जा इंजीनियरिंग विभाग है। हमारा प्रयास संस्थान में स्थापित रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (RuTAG) के माध्यम से हमारे आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को सशक्त बनाने पर है। इस केंद्र में ग्रामीण नवाचारों को एक मंच दिया गया है और हमने AARDO के माध्यम से अफ्रीकी देशों को प्रौद्योगिकी भी हस्तांतरित की है। हम छात्र विनिमय कार्यक्रमों और उच्च अंत कौशल के लिए एएआरडीओ के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके खुश हैं।” उन्होंने प्रतिभागियों के सुखद प्रवास और आईआईटी कानपुर से मूल्यवान अनुभव प्राप्त करने की कामना की। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एएआरडीओ के महासचिव महामहिम डॉ. मनोज नारदेवसिंह ने कहा, "जलवायु परिवर्तन 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। इसके सबसे गंभीर प्रभावों से अभी भी बचा जा सकता है यदि वर्तमान ऊर्जा को बदलने के प्रयास किए जाएं। AARDO में, प्रौद्योगिकियों का एक सार-संग्रह/बास्केट नवीन तकनीकों के गतिशील डेटाबेस के रूप में संकलित किया गया है, जिसे "किफायती प्रौद्योगिकी मेनू" (एटीएम) के रूप में शीर्षक दिया गया है, जिसमें हस्तांतरण के लिए उपलब्ध तकनीकों के साथ-साथ नवीन प्रौद्योगिकी को रखा गया है। कुछ एटीएम से चयनित तकनीकों के नमूने चार सदस्य देशों को सौंपे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि, "मुझे पूरा यकीन है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान, प्रसिद्ध संसाधन व्यक्तियों, देश के प्रतिनिधियों की प्रस्तुति और विषय पर विचार-विमर्श मूल्यवान अनुशंसाओं तक पहुंचने में सकारात्मक योगदान देगा," । डॉ. संजीब के बेहरा ने एएआरडीओ के मिशन और आज की दुनिया में इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया, जबकि प्रो. बी. वी. रतीश कुमार ने प्रतिभागियों को आमंत्रित किया और उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रतिभागी एक सुखद शैक्षिक अनुभव के साथ विदा होंगे। आईआईटी कानपुर के बारे में: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर, भारत सरकार द्वारा स्थापित प्रमुख संस्थानों में से एक है। 1959 में पंजीकृत, संस्थान को 1962-72 की अवधि के दौरान अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों और प्रयोगशालाओं की स्थापना में यू.एस.ए. के नौ प्रमुख संस्थानों द्वारा सहायता प्रदान की गई थी। अग्रणी नवाचारों और अत्याधुनिक अनुसंधान के अपने रिकॉर्ड के साथ, संस्थान को इंजीनियरिंग, विज्ञान और कई अंतःविषय क्षेत्रों में ख्याति के एक शिक्षण केंद्र के रूप में दुनिया भर में जाना जाता है। संस्थान को एनआईआरएफ द्वारा लगातार शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्थान दिया गया है। औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए मूल्य के क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय रहा है। औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय योगदान देता है। अधिक जानकारी के लिए www.iitk.ac.in पर विजिट करें।
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