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कानपुर, 30 अक्टूबर 2025: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के भौतिकी विभाग ने आधुनिक विज्ञान के इतिहास की सबसे बेहतरीन उपलब्धियों में से एक—क्वांटम मेकैनिक्स के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया। यह कार्यक्रम संस्थान के लेक्चर हॉल (L-17) में आयोजित हुआ, जिसमें भौतिकी विभाग के प्रोफेसर मनोज के. हरबोला ने “क्वांटम मेकैनिक्स के 100 साल (1925–2025): 1925 में क्या हुआ?” विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के अध्यापकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। क्वांटम विचार की उत्पत्ति की झलक प्रो. हरबोला ने अपने व्याख्यान की शुरुआत 1900 में मैक्स प्लैंक द्वारा प्रस्तुत ऊर्जा के क्वांटाइजेशन (quantization) के विचार से की, जिसने आधुनिक भौतिकी की नींव रखी। उन्होंने आगे बताया कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने 1905 में प्रकाश के क्वांटीकरण का सिद्धांत दिया, जबकि नील्स बोहर ने 1913 में हाइड्रोजन परमाणु मॉडल के माध्यम से परमाणु की ऊर्जा स्तरों को सफलतापूर्वक समझाया। साथ ही उन्होंने भारतीय वैज्ञानिक जैसे मेघनद साहा और सत्येन्द्र नाथ बोस के योगदानों पर भी प्रकाश डाला, जिनके कार्यों ने खगोलभौतिकी और सांख्यिकीय मेकैनिक्स में क्वांटम सिद्धांत को नई दिशा दी। हाइजेनबर्ग की खोज व्याख्यान के मुख्य भाग में प्रो. हरबोला ने वर्नर हाइजेनबर्ग के 1925 के शोध-पत्र की चर्चा की, जिसे आधुनिक क्वांटम यांत्रिकी की वास्तविक शुरुआत माना जाता है। उन्होंने बताया कि हाइजेनबर्ग ने पारंपरिक भौतिकी विचार को छोड़कर केवल प्रेक्षणीय (observable) क्वांटिटी—जैसे कि विकिरण की आवृत्ति और आयाम—के आधार पर सिद्धांत को पुनः परिभाषित किया। इसी कार्य से मैट्रिक्स मेकैनिक्स (Matrix Mechanics) की उत्पत्ति हुई, जिसने मैट्रिक्स मेकैनिक्स को समझने के हमारे तरीकों को पूरी तरह बदल दिया। यह वही आधार बना जिस पर बाद में बॉर्न, जॉर्डन, श्रोडिंगर और डिरॅक ने आधुनिक भौतिकी की नींव मजबूत की, जिसे सेमीकंडक्टर और लेज़रों से लेकर क्वांटम गणना और कण सिद्धांत तक, हर चीज़ प्रभावित हुए। विज्ञान में सौ वर्षों का परिवर्तन क्वांटम मेकैनिक्स के 100 वर्ष पूरे होने के विचार पर बात करते हुए प्रो. हरबोला ने कहा, “हाइजेनबर्ग का 1925 का कार्य मानव इतिहास में रचनात्मकता और तार्किक सोच का एक अद्भुत उदाहरण है। यही वह क्षण था जब भौतिकी ने शास्त्रीय से क्वांटम दुनिया की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने यह भी कहा कि क्वांटम मेकैनिक्स केवल एक सैद्धांतिक अवधारणा नहीं, बल्कि एक ऐसा ढांचा है जिसने तकनीक, दर्शन और हमारी वास्तविकता की समझ को गहराई से प्रभावित किया है"। वक्ता के बारे में प्रो. मनोज के. हरबोला, भौतिकी विभाग, आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ संकाय सदस्य हैं। वे क्वांटम मेकैनिक्स, परमाणु भौतिकी और डेंसिटी फंक्शनल थ्योरी के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट शोध कार्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी शिक्षण शैली और व्याख्यानों की गहराई ने कई पीढ़ियों के विद्यार्थियों को प्रेरित किया है। भौतिकी विभाग के बारे में आईआईटी कानपुर का भौतिकी विभाग भारत के अग्रणी शोध और शिक्षण केंद्रों में से एक है। यह विभाग संघनित पदार्थ भौतिकी, खगोल भौतिकी, फोटोनिक्स, उच्च ऊर्जा भौतिकी और क्वांटम सूचना जैसे अनेक क्षेत्रों में अग्रणी अनुसंधान करता है। आईआईटी कानपुर के बारे में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (IIT Kanpur) की स्थापना वर्ष 1959 में हुई थी। यह संस्थान भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान (Institute of National Importance) के रूप में मान्यता प्राप्त है। लगभग 1,050 एकड़ में फैले इस हरे-भरे परिसर में 20 विभाग, 26 केंद्र, 3 अंतरविषयी कार्यक्रम और 3 विशिष्ट स्कूल हैं। यहां 590 से अधिक पूर्णकालिक अध्यापक और 9,500 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा और अनुसंधान में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहे हैं। वेबसाइट:www.iitk.ac.in आईआईटी कानपुर के बारे में 1959 में स्थापित, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है। विज्ञान और इंजीनियरिंग शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध, आईआईटी कानपुर ने अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका 1,050 एकड़ का हरा-भरा परिसर शैक्षणिक और अनुसंधान संसाधनों से समृद्ध है। संस्थान में 20 विभाग, तीन अंतर्विषयी कार्यक्रम, 26 केंद्र और तीन विशेष स्कूल हैं, जो इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन, मानविकी और प्रबंधन जैसे क्षेत्रों को कवर करते हैं। 570 से अधिक पूर्णकालिक फैकल्टी और 9,500 से अधिक छात्रों के साथ, आईआईटी कानपुर नवाचार और शैक्षणिक उत्कृष्टता में अग्रणी बना हुआ है। |
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