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कानपुर, 3 सितंबर 2025: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में 2-3 सितंबर के बीच प्रमुख कॉर्पोरेट–शैक्षणिक सम्मेलन ‘समन्वय 2025’ का आयोजन हुआ। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत किया। उन्होंने अपने संबोधन में शिक्षा जगत, टेक्नोलॉजी और उद्योग क्षेत्र के बीच गहरे, उद्देश्यपूर्ण और दीर्घकालिक सहयोग की आवश्यकता सहित तमाम विषयों पर अपने विचार साझा किए। इस वर्ष सम्मेलन की थीम "विचारों को जगाना, नवाचार को तेज़ करना" रहा, जिसका उद्देश्य सरकार, उद्योग क्षेत्र और शिक्षा क्षेत्र के प्रमुख नेताओं को एक साझा मंच पर लाकर ऐसे नवाचारों को गति देना था, जो समाज और देश के लिए वास्तविक बदलाव ला सकें। समिट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence), सस्टेनेबिलिटी (Sustainability), और साइबर सुरक्षा (Cybersecurity) जैसे तीन मुख्य विषयों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। यह विषय न केवल भारत के सामाजिक और आर्थिक भविष्य को आकार देते हैं बल्कि तकनीकी उन्नति को भी दर्शाते हैं।
समिट में मुख्य अथिति रहे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि, “ हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत @2047 और आत्मनिर्भरता के विजन को पूरा करने के लिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि नई प्रौद्योगिकियों का विकास और अनुप्रयोग हमारे द्वारा किया जाए। मेड-टेक, ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सस्टेनेबिलिटी जैसे क्षेत्रों में भारत को आत्मनिर्भर बनाना हमारी प्राथमिकता है। पिछले ग्यारह वर्षों में इन लक्ष्यों की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, और अब हमें इसे और तेज करने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश का औद्योगिक विकास, विशेष रूप से डीपटेक में, इस मिशन के लिए महत्वपूर्ण है। आज भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और शीघ्र ही हम तीसरे स्थान पर होंगे। 'विकसित भारत' का अर्थ है 'आत्मनिर्भर भारत'—हर क्षेत्र में सशक्त, सक्षम और अग्रणी। नए भारत की सामरिक चुनौतियों का सामना हमारे युवाओं और आईआईटी जैसे संस्थानों को नई तकनीक विकसित करके करना होगा। आज का समय प्रतिस्पर्धा का है, और हमें हर क्षेत्र में नेतृत्व स्थापित करना है। मुझे प्रसन्नता है कि आईआईटी कानपुर जैसे संस्थान उत्तर प्रदेश को नई तकनीकी शक्ति प्रदान कर रहे हैं। विशेष रूप से क्वांटम कंप्यूटिंग, डीपटेक, ड्रोन, मेडटेक और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में यह संस्थान महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है। मुझे विश्वास है कि उद्योग और अकादमिक जगत के सहयोग से उत्तर प्रदेश, 'नए भारत' की प्रगति में अग्रणी राज्य बनेगा। हमारी इंडस्ट्री को नवाचार के क्षेत्र में सक्रिय योगदान देना चाहिए। हाल के समय में साइबर सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है और इस क्षेत्र में आईआईटी कानपुर की प्रमुख भूमिका होगी। मैं मानता हूँ कि जैसे 'समन्वय' कार्यक्रम में आईआईटी कानपुर ने नेतृत्व किया है, वैसे ही उसे 'डीपटेक 2025 समिट' का भी नेतृत्व करना चाहिए। आईआईटी कानपुर को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में देश की लीडरशिप स्थापित करनी है। साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियों का समाधान केवल तभी संभव है जब उद्योग और संस्थान मिलकर नई तकनीक विकसित करें। विकसित भारत के लिए हमें हर क्षेत्र में कार्य करने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश आज देश में सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और व्यापार सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। हमें आत्ममंथन की भी आवश्यकता है—जहां हम चेतन, अचेतन और अवचेतन मन का सामंजस्य तकनीकी क्षेत्र में सीखें और उसे राष्ट्रनिर्माण में लगाएँ”। मुख्य भाषण के दौरान, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर डॉ. हैरिक विन ने आईआईटीके समन्वय 2025 में दर्शकों को एक गतिशील भविष्य के दृष्टिकोण से प्रेरित किया, जहां लोगों पर केंद्रित एआई और मानव प्रतिभा एक साथ मिलकर नवाचार के लिए काम करते हैं जो समावेशी, अनुकूलनीय और प्रभावशाली हों। टीसीएस और ऐरावत रिसर्च फाउंडेशन, आईआईटी कानपुर के बीच समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर के अवसर पर, उन्होंने कहा, "भारत शहरी जीवन को पुनर्परिभाषित करने के कगार पर खड़ा है, और हम शहरी नियोजन और प्रबंधन में एक नए प्रतिमान की नींव रख रहे हैं - जो भविष्यवाणी करने वाला और गहराई से मानवीय केंद्रित है। उद्योग और शिक्षा जगत के बीच सहयोग महत्वपूर्ण होगा। आईआईटी कानपुर के ऐरावत रिसर्च फाउंडेशन के साथ इस साझेदारी के माध्यम से, टीसीएस अपनी गहरी क्षमताओं का उपयोग एआई, रिमोट सेंसिंग, मल्टी-मोडल डेटा फ्यूजन, डिजिटल ट्विन, और डेटा और नॉलेज इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकियों में करेगा ताकि आज की शहरी चुनौतियों का समाधान किया जा सके और कल के शहरों की जरूरतों का अनुमान लगाया जा सके। शहरी जीवन का भविष्य हमारी क्षमता में निहित है कि हम शहरों को गतिशील पारिस्थिति के तंत्र के रूप में देख सकें। उद्योग और समाज की बदलती जरूरतों के अनुसार अनुकूलन और विकास करना भी एक लक्ष्य है”। वहीं, आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने अपने वक्तव्य में कहा कि, “आईआईटी कानपुर ने हमेशा यह प्रयास किया है कि वह अपने तकनीकी ज्ञान को समाजोपयोगी बना सके। उन्होंने बताया कि संस्थान के पास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और सस्टेनिबिलिटी जैसे उभरते क्षेत्रों में गहन शोध और अनुभव है। यह तभी संभव हो पाया है जब कॉर्पोरेट और सरकार दोनों ने मिलकर इसे सहयोग और समर्थन दिया है। साथ ही उन्होंने संस्थान के वाधवानी सेंटर फॉर डिवेलपिंग इंटेलिजेंट सिस्टम्स और ऐरावत रिसर्च फाउंडेशन जैसे रिसर्च केंद्रों के कार्यों को रेखांकित करते हुए बताया कि ये केंद्र तकनीक के जरिए भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान तलाशने की दिशा में काम कर रहे हैं”। सम्मेलन के दौरान कई पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं, जिनमें देश की जानी-मानी कंपनियों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। एक पैनल चर्चा "भविष्य का सह-आविष्कार: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सस्टेनिबिलिटी और साइबर सुरक्षा में ट्रांसलेशनल रिसर्च" पर केंद्रित थी, जिसमें मास्टरकार्ड, DXC टेक्नोलॉजी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, वेबटेक कॉर्पोरेशन, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और जुबिलेंट इंग्रेविया जैसे संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। वहीं, एक अन्य पैनल "लक्ष्य आधारित तकनीक: CSR के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देना" इस बात पर केंद्रित थी कि कैसे कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के माध्यम से कंपनियां समाज में तकनीकी बदलाव ला रही हैं। इसके अलावा एक और अहम पैनल "भविष्य का निर्माण: कैसे MSMEs और शैक्षणिक संस्थान मिलकर आत्मनिर्भर भारत की नींव रख सकते हैं", में छोटे और मध्यम उद्योगों के प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे शिक्षा और उद्योग का मेल भारत की नवाचार संस्कृति को और मज़बूत बना सकता है। समिट के दौरान एक महत्वपूर्ण समझौता (MoU) भी हस्ताक्षरित हुआ। यह समझौता आईआईटी कानपुर के ऐरावत रिसर्च फाउंडेशन और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के बीच हुआ, जिसके तहत दोनों संस्थाएं मिलकर शहरी नियोजन की चुनौतियों को हल करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करेंगी। इस परियोजना के अंतर्गत उच्च-गुणवत्ता वाली वायु गुणवत्ता मैपिंग, शहरी बाढ़ की भविष्यवाणी, हरित क्षेत्र की योजना, कार्बन उत्सर्जन का मूल्यांकन, अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार, और नागरिक भागीदारी को तकनीक के ज़रिए बेहतर बनाने जैसे कार्य किए जाएंगे। इसका उद्देश्य स्मार्ट सिटी को ना केवल तकनीकी बल्कि सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से भी संतुलित और सतत करना है। आईआईटी कानपुर के बारे में आईआईटी कानपुर की स्थापना 1959 में हुई थी और यह भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान घोषित किया गया है। यह संस्थान विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान के लिए देशभर में जाना जाता है। 1,050 एकड़ में फैले इसके सुंदर परिसर में 19 विभाग, 26 शोध केंद्र और तीन विशेष स्कूल हैं, जहां इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिज़ाइन, मानविकी और प्रबंधन जैसे विषयों की पढ़ाई होती है। यहां 570 से अधिक पूर्णकालिक शिक्षक और 9,500 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। आईआईटी कानपुर आज भी नवाचार, अनुसंधान और शिक्षण में उत्कृष्टता की मिसाल कायम कर रहा है। अधिक जानकारी के लिए www.iitk.ac.in पर जाएं। |
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