आईआईटी कानपुर ने मानव रक्त में बिलीरुबिन के विश्लेषण में क्रांति लाने वाली नई स्ट्रिप के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए सेंसा कोर के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

 

   
  • इस आविष्कारी तकनीक को आईआईटी कानपुर के नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स (एनसीफ्लेक्सई) में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सिद्धार्थ पाण्डा और डॉ. निशांत वर्मा द्वारा विकसित किया गया है।

  • नॉन-एंजाइमी इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसिंग स्ट्रिप रक्त की एक बूंद में प्रत्यक्ष और कुल बिलीरुबिन का एक साथ पता लगा सकती है और एक मिनट के भीतर परिणाम प्रदान कर सकती है।

कानपुर, 12 सितंबर, 2023: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटीके) ने आज आईआईटी कानपुर में विकसित एक नवीन पॉइंट-ऑफ-केयर तकनीक, जो मानव रक्त/सीरम में बिलीरुबिन के तीन प्रकारों का एक साथ तेजी से विश्लेषण कर सकती है, उसके बड़े पैमाने पर निर्माण और बिक्री के लिए सेंसा कोर मेडिकल इंस्ट्रुमेंटेशन प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स (एनसीफ्लेक्सई), आईआईटी कानपुर में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सिद्धार्थ पाण्डा और डॉ. निशांत वर्मा द्वारा विकसित आविष्कारशील तकनीक एक नॉन-एंजाइमी इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसिंग स्ट्रिप के निर्माण का रास्ता खोलती है जो रक्त की एक बूंद में कुल और प्रत्यक्ष बिलीरुबिन का एक साथ पता लगा सकती है और एक मिनट के भीतर परिणाम प्रदान कर सकती है।



आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर; प्रो. अंकुश शर्मा, पीआईसी, इनोवेशन एवं इन्क्यूबेशन; प्रोफेसर सिद्धार्थ पांडा (आविष्कारक) और डॉ. रवि कुमार मेरुवा, सेंसा कोर मेडिकल इंस्ट्रुमेंटेशन प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक/सीईओ और लाइसेंसधारी की उपस्थिति में आईआईटी कानपुर और सेंसा कोर के बीच प्रौद्योगिकी लाइसेंसिंग समझौते पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए । सेंसा कोर हैदराबाद स्थित कंपनी, आयन-चयनात्मक आधारित इलेक्ट्रोलाइट एनालाइज़र, धमनी रक्त गैस इलेक्ट्रोलाइट मेटाबोलाइट एनालाइज़र, ग्लूकोज टेस्ट स्ट्रिप्स और हीमोग्लोबिन टेस्ट स्ट्रिप्स की अग्रणी निर्माता है। इस एमओयू के साथ, वे प्वाइंट-ऑफ-केयर परीक्षण और स्क्रीनिंग के एक भाग के रूप में बिलीरुबिन टेस्ट स्ट्रिप्स को शामिल करके अपने पोर्टफोलियो का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं।


आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने इस मौके पर कहा, “स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को समृद्ध करने के लिए प्रभावी पॉइंट-ऑफ-केयर प्रौद्योगिकियों का विकास करना आईआईटी कानपुर की प्राथमिकता रही है। यह नया सेंसर, रक्त में बिलीरुबिन के स्तर का पता लगाना आसान बनाता है, और यह कुछ स्वास्थ्य स्थितियों का पता लगाने वाली प्रक्रियाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। इस अद्वितीय पांच-इलेक्ट्रोड कॉन्फ़िगरेशन के समावेश से एक ही स्ट्रिप पर प्रत्यक्ष और कुल बिलीरुबिन का एक साथ पता लगाने की सुविधा मिल जाएगी। इस एमओयू के माध्यम से, हम सभी की बेहतर उपयोगिता के लिए इस आविष्कार के प्रभावी विपणन में फलते-फूलते स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने की उम्मीद करते हैं।''


यह नॉन-एंजाइमी इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर विशेष रूप से क्लीनिकल नमूनों में बिलीरुबिन के स्तर का सटीक पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बिलीरुबिन हमारे रक्त में एक वर्णक है, जिसके स्तर का पता लगाने से कुछ स्वास्थ्य स्थितियों का निदान करने में मदद मिल सकती है, जिसमें नवजातों में पीलिया की स्थिति भी है । यह एक प्रचलित क्लीनिकल स्थिति है, जो भारत में प्रति 1000 जीवित जन्मे नवजातों पर 7.3 की मृत्यु दर के साथ लगभग 60% पूर्ण अवधि और 80% समयपूर्व नवजात शिशुओं को प्रभावित करती है। जिसका पता लगाने के पारंपरिक तरीकों की सीमित सीमाएँ हैं। यह विकसित सेंसर पोर्टेबल, किफायती है और किसी भी प्रारंभिक प्रसंस्करण चरण की आवश्यकता के बिना रक्त नमूना विश्लेषण के लिए सीधे लागू किया जा सकता है। इस सेंसर का उपयोग बेडसाइड परीक्षण, क्लीनिकल प्रयोगशालाओं और यहां तक कि स्वास्थ्य जांच केंद्रों में भी किए जाने की उम्मीद है।


इस सेंसर में एक अद्वितीय पांच-इलेक्ट्रोड कॉन्फ़िगरेशन शामिल है जो एक ही स्ट्रिप पर प्रत्यक्ष और कुल बिलीरुबिन का एक साथ पता लगाने की सुविधा प्रदान करता है। इस सेंसर में एक नवीन सामग्री शामिल है जिसे 'ट्राइमेटेलिक नैनोकम्पोजिट-आधारित उत्प्रेरक' कहा जाता है, जो नमूने में अन्य घटकों की उपस्थिति के बावजूद बिलीरुबिन का प्रभावी ढंग से पता लगा सकता है। सरल शब्दों में, यह नवीन तकनीक एक उन्नत उपकरण है जो डॉक्टरों को आपके रक्त में बिलीरुबिन को तुरंत और सटीक रूप से मापने में मदद करेगी, जिससे कुछ चिकित्सीय स्थितियों का निदान आसान हो जाएगा।


आईआईटी कानपुर के बारे में:


भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर की स्थापना 2 नवंबर 1959 को संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। संस्थान का विशाल परिसर 1055 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें 19 विभागों, 22 केंद्रों, इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन, मानविकी और प्रबंधन विषयों में 3 अंतःविषय कार्यक्रमों में फैले शैक्षणिक और अनुसंधान संसाधनों के बड़े पूल के साथ 540 पूर्णकालिक संकाय सदस्य और लगभग 9000 छात्र हैं । औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय रहता है।


अधिक जानकारी के लिए www.iitk.ac.in पर विजिट करें

 

 

Birds at IIT Kanpur
Information for School Children
IITK Radio
Counseling Service